tag:blogger.com,1999:blog-3657486341528295042.post583783185142714861..comments2023-06-20T02:11:23.867-07:00Comments on दायरा: मुझे यकीन नहींअनु गुप्ताhttp://www.blogger.com/profile/04850936250892615746noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-3657486341528295042.post-88847795719774327282011-02-19T00:39:38.261-08:002011-02-19T00:39:38.261-08:00बहुत बढ़ियाबहुत बढ़ियाashish kumar guptahttps://www.blogger.com/profile/16798037698143677575noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3657486341528295042.post-44592318032844759692010-10-11T04:01:44.092-07:002010-10-11T04:01:44.092-07:00बरसों पहले सुना था कलम के सिपाही को पत्रकार कहते ह...बरसों पहले सुना था कलम के सिपाही को पत्रकार कहते हैं ..हाँ मैंने कलम को बिकते देखा है , ठिठकते और डरते देखा है ....कैमरे के आगे स्टूडियो में लोगों को आंसुओं का ड्रामा करते देखा है .....हाँ मैंने मीडिया को बड़े करीब से देखा है ...मुट्ठी भर ईमानदार पत्रकारों की बदौलत सच्चाई को बचते देखा है ..<br />बहुत गहरी है आप के लेखन में कृपया लिखती रहें ताकी बहुत अच्छा पढ़ने को मिलता रहेamarhttps://www.blogger.com/profile/09056997023570365079noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3657486341528295042.post-45176486865677674982010-09-29T08:04:08.443-07:002010-09-29T08:04:08.443-07:00जज्बातों में डुबा एक एक लफ्ज बेहतरीनजज्बातों में डुबा एक एक लफ्ज बेहतरीनसुबोधhttps://www.blogger.com/profile/10810549312103326878noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3657486341528295042.post-3397977031659536612010-09-24T19:47:17.641-07:002010-09-24T19:47:17.641-07:00अच्छी अभिव्यक्ति!अच्छी अभिव्यक्ति!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3657486341528295042.post-75758984085367279102010-09-24T12:21:52.956-07:002010-09-24T12:21:52.956-07:00बहुत सुंदर और सरल शब्दों में व्यथा बयां की है आपने...बहुत सुंदर और सरल शब्दों में व्यथा बयां की है आपने ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3657486341528295042.post-1427843578056938102010-09-24T11:19:09.746-07:002010-09-24T11:19:09.746-07:00आप की कृति के शीर्षक को सादर उधार लेते हुए मैं कहन...आप की कृति के शीर्षक को सादर उधार लेते हुए मैं कहना चाहूँगा कि मुझे यकीं नहीं हो रहा कि इतनी सरल और सीधी शैली में इतने सहज तरीके से दर्द को कलम के ज़रिए उतारा जा सकता है<br />बेहद प्रभावी लिखा है, जो मन को छूता हैmai... ratnakarhttps://www.blogger.com/profile/06401132634460924460noreply@blogger.com