Wednesday, September 2, 2009

मैं तरसती हूं..


बारिश की..
एक अलसाई सुबह में,
मैं तरसती हूं..
जागने में आनाकानी के लिए,
मां की एक झड़प के लिए,
भीगे पत्तों, गीली ज़मीन
पर..
अपना नाम उकेरने के लिए।
माटी की सौंधी महक,
तेल की महक के लिए,
एक गरम प्याला
अदरक-इलायची वाला..
और
मद्धम-सी धुनों के लिए।
मैं तरसती हूं अब
उस एक दिन के लिए..

अनु गुप्ता
2 सितंबर 2009

एक थी रानी !

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की कोई तस्वीर इतिहास में मौजूद नहीं है। स्केच या पेंटिंग के जरिए ही उनका चेहरा बनाने की कोशिश की गई है। हिंदी अखबार भास्कर की वेबसाइट पर हाल ही में एक तस्वीर प्रकाशित की गई.. जिसमें बताया गया कि.. वो तस्वीर झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की है.. तस्वीर के साथ उसका विवरण भी दिया गया है। मेरा निजी विचार यही है कि.. तस्वीर की सत्यता पर अब भी संशय है.. लेकिन उस तस्वीर को विवरण समेत मैं यहां पोस्ट कर रही हूं..

प्रस्तुत है विवरण-



अब तक आपने झांसी की रानी की तस्वीर पुस्तकों में स्केच या कैनवास पर ब्रश से उकेरे प्रयासों के सहारे ही देखा होगा, लेकिन भारत में रानी की लक्ष्मीबाई की मूल तस्वीर जिसको आप शायद ही कभी देखें हो।
जी हां ये है झांसी की रानी की 1850 में खींची गई मूल तस्वीर, जिसे सन 1850 में अंग्रेज फोटोग्राफर हॉफमैन ने लिया था। पिछले दिनों विश्व फोटोग्राफी दिवस यानि 19 अगस्त को पद्मश्री वामन ठाकरे द्वारा खींचे गए छायाचित्रों, कैनवास पे उकेरे चित्रों, लेखन कार्य और अन्य कलाकृतियों की प्रदर्शनी का आयोजन भोपाल में किया गया था। इस प्रदर्शनी में उनके विशेष आग्रह पे अहमदाबाद के एक एंटिक संग्रहकर्ता ने यह छायाचित्र भेजा था।
इस फोटो को श्री वामन ने प्रदर्शनी में दिखाकर लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया। क्योंकि लक्ष्मीबाई के मूल फोटो को आज तक शायद ही किसी ने देखा होगा। अभी तक ऐसा माना जाता रहा है कि इस दुनिया में रानी लक्ष्मीबाई की तस्वीर उपलब्ध नहीं है। लेकिन इस तस्वीर के एकाएक सामने आ जाने से यह साफ हो गया कि रानी की तस्वीर अभी भी उपलब्ध है।
साभार- भास्कर डॉट कॉम
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अनु गुप्ता
2 सितंबर 2009